जन्म कुंडली के इन भावों में केतु बना देता है पूर्वाभासी या त्रिकालदर्शी । Ketu Gives You Sixeth Sence Power
जन्म कुंडली में इन भावों में बैठा केतु जातक को पूर्वानुमान या पूर्वाभासी बना देता है :
जन्म कुंडली में केतु को शुभ तथा छाया ग्रह की संज्ञा दी गई है किंतु पाप ग्रह राहु के सम्मुख होने की वजह से केतु के शुभ अशुभ दोनो ही परिणाम जीवन में देखने को मिलते है। यदि जन्म कुंडली में केतु 1, 2,3,5,8,9 तथा 12 इन भावों में बैठा हो तो जातक पूर्वाभासी अर्थात पूर्वानुमान लगाने वाला बन जाता है इस तरह के लोगो के सपने भी सच हो जाया करते हैं। यदि जन्म कुंडली में केतु के साथ गुरु की युति हो तो फिर कहना ही क्या यह एक प्रकार का योग जिसे धर्म ध्वजा योग कहते है इसका निर्माण करेगा इससे जातक की कही हुई बात सच हो जाया करती है । इस प्रकार के योग अक्सर साधु सन्यासी की कुंडली में खूब देखने को मिलते है । यदि कुंडली में गुरु केतु की युति हो तो जातक को धार्मिक प्रवृत्ति का बना देते है । यदि जातक गुरु और बड़ों का सम्मान करे तो जातक के पूर्वानुमान में और वृद्धि होती है । जातक यदि अत्यधिक धार्मिक हो जाए और मंत्र साधना करे तो इस तरह के लोगो को शीघ्र ही सिद्धि प्राप्त हो जाती है। जातक त्रिकालज्ञ अर्थात तीनों कालों के विषय में बताने वाला बन जाता है।
जन्म कुंडली के 8 भाव को गुप्त और मृत्यु का भाव कहते है यदि इस स्थान पर गुरु केतु साथ बैठे हों तो जातक को ससुराल से धन लाभ कराने वाले , धार्मिक बनाने वाले तथा शीघ्र ही मंत्र सिद्धि करवाने वाले होते है। लेकिन इस तरह के जातकों को तंत्र और भूत बाधा से सदैव बच कर रहना चाहिए क्योंकि इसके द्वारा ही तांत्रिक इनको नुकसान पहुंचाने का प्रयत्न कर सकते हैं। यदि केतु 2 भाव में गुरु के साथ हो तो जातक के पास खूब धन आता है चाहे वो कैसे भी आए ।
जातक को वाणी में कुछ हकलाहट बनी रहती है। और जातक को परिवार का साथ भी मिलता है । 12 का केतु जातक को मोक्ष प्रदान करने वाला हो जाता है तथा लग्न में बैठा केतु लंबा शरीर लेकिन कनफुजन बाला बना देता है कोई भी काम करने से पहले काफी अड़चने आती है । 9 भाव में बैठा केतु जातक को धर्म से जोड़ता है।
इस तरह के जातक को रोज मंदिर जाना चाहिए और दिया लगाना चाहिए चाहे मंदिर किसी भी देवता का क्यों न हो । 5 भाव में बैठा केतु ज्ञान के साथ शेयर , जुआ , सट्टा,और राजा से लाभ देने बाला लेकिन संतान में वृकृति उत्पन्न करने वाला होता है। कुल मिलाकर केतु का इन भावों में अच्छा और बुरा फल देखने को मिलता है। उसका मुख्य कारण राहु की दृष्टि है । केतु जातक की कही हुई बातों को सच करने में मदद करता है इसलिए इस तरह के लोग कुशल काउंसलर या उपदेशक होते है।
उपाय
1 जिन जातकों की कुंडली में इस तरह से केतु उपस्थित हो अथवा गुरु के साथ इन्ही भावों में युति हो तो जातक को मास ,मदिरा, पर स्त्री गमन से दूर रहना चाहिए।
2 अपने स्वप्न किसी से न बताए।
3 कोई भी कार्य पूर्ण होने तक किसी से भी शेयर न करें।
4 जातक को धार्मिक होना जरूरी है रोज मंदिर जाए
5 जातक खूब ध्यान लगाए।
#kundli #astrology #vedicastrology #astrotalk
पं योगेश पौराणिक
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें