सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

World Thalassemia Day 2021 | What is Thalassemia ?


● हर साल 8 मई को दुनियाभर में विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को थैलेसीमिया बीमारी के प्रति जागरूक करना है।

🔬 थैलेसीमिया बीमारी से जुड़े कुछ तथ्य :- 
● यह एक आनुवंशिक रोग है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।

● इस रोग में आरबीसी ( जिसे रेड ब्लड सेल्स कहते हैं ) की संख्या में बड़ी तेजी से गिरावट होने लगती है, साथ ही आरबीसी के नए सेल्स नहीं बनते हैं, जिससे शरीर में खून की कमी होने लगती है। 
इसके बाद व्यक्ति कई अन्य बीमारियों की चपेट में आने लगता है।

● इस रोग से बचने के लिए रोगी को पर्याप्त मात्रा में विटामिन और आयरन युक्त चीजों का सेवन करना होता है

● कई मौकों पर रोगी के रक्त को बदला जाता है और सर्जरी कर पित्ताशय की थैली को हटाया जाता है।

● भारत में हर साल 10 हजार से अधिक बच्चे जन्मजात थैलेसीमिया के रोगी होते हैं। ये आंकड़े विश्व में सबसे अधिक हैं।

● अगर किसी बच्चे को थैलेसीमिया की शिकायत होती है तो उसे ताउम्र इसका उपचार कराना पड़ता है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रॉकेट नोदन का सिद्धांत लिखिए तथा रॉकेट के त्वरण के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिये | | physics

  rocket nodan ka siddhant likhiye tatha roket ke tvaran ke liye vyanjak prapt kijiye

भवानी प्रसाद मिश्र का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए उनके साहित्य की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए !

                                                                              

जन्म कुंडली के इन भावों में केतु बना देता है पूर्वाभासी या त्रिकालदर्शी । Ketu Gives You Sixeth Sence Power

जन्म कुंडली में इन भावों में बैठा केतु जातक को पूर्वानुमान या पूर्वाभासी बना देता है : जन्म कुंडली में केतु को शुभ तथा छाया  ग्रह की संज्ञा दी गई है किंतु पाप ग्रह राहु के सम्मुख होने की वजह से केतु के शुभ अशुभ दोनो ही परिणाम जीवन में देखने को मिलते है। यदि जन्म कुंडली में केतु 1, 2,3,5,8,9 तथा 12 इन भावों में बैठा हो तो जातक पूर्वाभासी अर्थात पूर्वानुमान लगाने वाला बन जाता है इस तरह के लोगो के सपने भी सच हो जाया करते हैं। यदि जन्म कुंडली में केतु के साथ गुरु की युति हो तो फिर कहना ही क्या यह एक प्रकार का योग जिसे धर्म ध्वजा योग कहते है इसका निर्माण करेगा इससे जातक की कही हुई बात सच हो जाया करती है । इस प्रकार के योग अक्सर साधु सन्यासी की कुंडली में खूब देखने को मिलते है । यदि कुंडली में गुरु केतु की युति हो तो जातक को धार्मिक प्रवृत्ति का बना देते है । यदि जातक गुरु और बड़ों का सम्मान करे तो जातक के पूर्वानुमान में और वृद्धि होती है । जातक यदि अत्यधिक धार्मिक हो जाए और मंत्र साधना करे तो इस तरह के लोगो को शीघ्र ही सिद्धि प्राप्त हो जाती है। जातक त्रिकालज्ञ अर्थात तीनों कालों के विषय म